My Blog List

Friday, November 20, 2015

19/11/2015 पितृवचन

हरि ॐ दिनांक 19/11/2015 पितृवचन

आज हमें देखना है कि मुलाधार से सहस्त्रार चक्र तक हमारे व्यक्तिगत जीवन का, वसुंधरा का, हमारे कार्य का, हमारे स्थान का गृह का, पुरे विश्व का जो संबंध है.. वो संबंध ये साबित करता है, कि एक दुसरे के साथ जो भी हमारा रिश्ता है, नाता है, जो कार्य-पध्दती है, कार्य प्रणाली है; उससे हमें क्या मिलता है? इस उपासना से, श्री शब्द ध्यान योग से हम क्या प्राप्त कर सकते है!
हम आरोग्य प्राप्त कर सकते है। मन का, तन का, शरीर का, जीवन का, धन का, शान का; सभी चीजों का आरोग्य प्राप्त कर सकते है.. फिर, What is the basic? (मुल क्या है?) इससे 'मुल' में क्या जाता है? 'मुल' में हमारे पास क्या होना चाहिये? हम, कभी जो हमें मिला है, उस पर हम लोग संतुष्ट नहीं होते; जो नहीं मिला है, उसके बारे में सोचते है.. ऐसा खट्टा चेहरा लेकर घुमते है कि 'भगवान ने हमें कभी कुछ नहीं दिया'.. बापू ने 10 चीजें बतायी, 13 दिसंबर के दिन! लेकिन शुरुआत में उत्साह से किया और धीरे-धीरे छोड दिया। हम यहीं सोचते है कि, कौन सी जिन्स पहननी है? बोलने का, काम करने का अंदाज क्या है? मोबाईल कौन सा है? कभी कभी तो उस मोबाईल का एक टका (1%) इस्तेमाल भी नहीं मालुम होता। फिर भी दिखाने के लिये लेते है। कार से उतरा, तो बडा इन्सान! और ऑटो से उतरा तो कोई ध्यान भी नहीं देता। हमारे खुद के पास ऐसी शान होनी चाहियें की अगर सादा ड्रेस भी पहना हो, तो स्टँडर्ड दिखना चाहिये...ये शान, self-confidence (आत्मविश्वास) कहाँ से आता है? उस वक्त की जरुरत पुरी करना, ये तो जानवर भी करता है। लेकिन इन्सान को सब से बडी चीज भगवान ने दीं है, वो है INTEGRITY.. (पुर्णता, प्रामाणिकता, इमानदारी) means 'the quality of being honest & having storng moral principles' (इमानदार रहने से आत्मविश्वास दृढ होता है)

ये विश्व आपके नियमों से नहीं, बल्कि जिसने ये दुनिया बनायी, उसी के नियमों से हमेम चलना होगा।
हममें प्रामाणिकता, सच्चाई, इमानदारी ये गुण होने चाहिये और हमारे आदर्श तत्व, नितिमान होने चाहिए... तो ही जीवन सुखी होगा। हमें लगता है, कि झुठ से ही बहुत पैसा मिलता है! लेकिन उसका क्या उपयोग? ऐसा होता, तो लोग डॉक्टर के पास क्यों जाते? पढते क्यों? The state of being wholeness & undevide; (राज्य पुर्णता से और अखण्डित, अविभाजित होना चाहिए।)  ऐसी स्थिती होनी चाहिए... लेकिन हम 'अपुर्ण' होते है! कभी पुर्णांक नहीं बन पाते.. उमर के 70 साल में भी लगता है कि 'कुछ बाकी रह गया'... लेकिन भगवान चाहता है कि, आपका जीवन Integrity (पुर्णता, इमानदारी, प्रामाणिकता) से परिपुर्ण हो और undivided (अखंड) हो..टुकडे करने का काम दिती का है..जिससे सारे दैत्य निर्माण होते है.. INTEGRITY (प्रामाणिकता) कि व्याख्या जीवन के लिये है, परलोक के लिए नहीं! दिती तत्व को हमें जीवन में स्थान नहीं देना है; तो अपने आप ही, दैत्य निर्माण नहीं होंगे।
आदितत्व, यानी Integrity.. गणपती के दिनों में आरती के वक्त, दो-तीन लोग ही आरती बोलतें है। बाकी सब, 'में में में' करते है, लेकिन सिखतें नहीं! वो भगवान सभी चमत्कार करने के लिए तैय्यार है! लेकिन जिसने अपने मानवी तौर पर उसकी सहायता से प्रयास शुरू रखे है, उसके लिये.. हम बोलेंगे "असेल माझा हरि, तर देईल खाटल्यावरी" तो ऐसे नहीं होनेवाला... हम कोशिश करेंगे, तो ही चमत्कार होंगे। हमें भगवान का नाम लेते हुए Integrity को जीवन में लाना है। मैं जानता हूँ, ये कलियुग है, यहाँ प्रामाणिकता से साथ जिना, immposible (नामुमकिन) है। गलतियाँ होगी! लेकिन.. you are judge not by your performance, but by your faith..
कम-से-कम भगवान के साथ तो इमानदार रहो.. that is the basic...(यही 'मुल' है) खुद के साथ और भगवान के साथ सच्चाई से रहो... हमें पुछना चाहिए, क्या हम भगवान और खुद के साथ ईमानदार है? इस सवाल को पुछते पुछते आगे बढना; INTEGRITY (पुर्णता, प्रामाणिकता) है। मर्द हो या औरत, वो यह सवाल पुछते हुवे आगे बढेंगे, तो उसका जीवन पुर्णता के पास जाना शुरू होता है। और आप खंडीत नहीं होते! चाहे सुख आये या दुख; मेरे पास शांती, समाधान, बल होना चाहिये..
Without INTEGRITY (बिना इमानदारी के) सब कुछ फेल होता है.. हमारे जीवन में आदितीतत्व का होना महत्वपुर्ण है.. इतना अप्रतिम सौंदर्य है, वो बताना चाहती है..उसके बल तारों, नक्षत्रों से बने है, वो सौंदर्य हमारे जीवन में बाँटने के लिये तैयार है.. वो और उसका बेटा, पुर्णता देने के लिये तैयार है।
हमें सिर्फ भगवान और खुद से इमानदार रहना है।
We are murdering ourselves only.. (हम केवल खुद की हत्या कर रहे है) खुद की खुशी, भक्ती, पुण्य, प्रेम, अच्छे सद् गुण इसका हम कितनी बार वादा करते है? क्या ये murder (हत्या) नहीं है? हमें जानना चाहिये, हम अगर 100 साल भी जियें, तो भी एक ना एक दिन तो सब को जाना ही है। अभी 9 बजकर 2 मिनट हुए है.. लेकिन एक पल ऐसा होगा, कि 9.02 बजे "मैं और आप इस पृथ्वी पर नहीं होंगे" राम, कृष्ण को भी देह त्यागना पडा था। कोई अमर नहीं है।
हम पढाई, शादी, प्यार, जॉब; जवानी में सब करते है, तो भक्ती बुढापे में क्यो? हमें आदिती के साथ भर्गलोक में रहना है। INTEGRITY is the principle of life.. (सच्चाई, इमानदारी ये जिंदगी का तत्व है) तो हमें खुद के और भगवान के साथ प्रामाणिक रहना है, तो ही हमारा आत्मविश्वास बढेगा.. कभी खुद को भगवान मत समझो। जब आपको कोई प्रणाम करता है, तो आपका पुण्य लेकर जाता है... मराठी फिल्म, देऊळबंद जरुर देखें।
इस दुनिया में कभी सैतान का राज नहीं हो सकता। चाहे, कलयुग हो; राज सिर्फ मेरी माँ का ही है।
आज से श्री शब्द ध्यान योग से हमारे सब चक्रो में ये INTEGRITY (पुर्णता, इमानदारी) आनेवाले है.. हमें सिर्फ भगवान और खुद से प्रामाणिक, इमानदार रहना है..

शब्दांकन
मिलिंदसिंह फणसे
हम सब अंबज्ञ है।