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Monday, September 7, 2015

"पितृ-वचन" Introduction

हरि ॐ दिनांक 3/9/2015
बापू के प्रवचन का हिन्दी सार

20 साल पहले, जो मेरे लोग मेरे साथ बैठते थे, उन्हें पता है..मेरे सद् गुरू और माँ की इच्छा से, पहले मराठी में बोलना शुरू किया..उसके बाद प्रवचन होते रहें..1999 में हिन्दी प्रवचन शुरू हुए..फिर एक एक संक्रमण होते होते रामरक्षा, साई के वचन..वो सब तब था, क्यों कि ये मेरी माँ कि इच्छा हैं, सद् गुरू दत्तात्रय कि इच्छा हैं..ये उनके अनुसार ही हो रहा हैं।
बात ऐसी हैं कि मेरे सद् गुरू का मानना था, भारत में भाषा दो ही हैं..एक संस्कृत..और दुसरी भाषा..वो हैं मातृभाषा! एक गुजराती हैं, एक तमिल हैं, एक मराठी हैं..ये सभी भाषा basically (मुलत:) प्राकृत हैं..तो हमारी मातृभाषा मराठी हिन्दवी हैं, गुजराती हिन्दवी है.. वगैराह!!
मातृभाषा दिखती अलग है पर वो एक ही हैं..यह हिन्दवी भाषा हैं..इसलिये आज से ये प्रवचन हिन्दी में होगा।
बापू कौनसी भाषा बोलतें है? मराठी लोग बोलेंगे कि मराठी हिन्दवी..पंजाबी लोग..कहेंगे..पंजाबी हिन्दवी
ये ना कोई राष्ट्रभाषा हैं..कि ये हमारी मातृभाषा हैं..आज से बापू का प्रवचन नहीं होगा..आज से बापू, अपना बाप अपनों से बात करनेवाला हैं।
मराठी में 900 से उपर प्रवचन हुए..हिन्दी में 555 से ज्यादा प्रवचन और इंग्लिश में 100 से ज्यादा..जो मुझे कहना था वो मैने किताबों में लिखा हैं।
संभवामी युगे युगे
आवाहनं न् जानामि
3 ग्रंथ
आई के 2 ग्रंथ
श्री श्वासम् पुस्तिका
रामरसायन...इत्यादी!!
तो अभी आज कोई बात रह नहीं गयी हैं.. वो मैने बोला है, वो मैने लिखा भी है। with my sign
(मेरी दस्तखत के साथ)
जब रामेश्वर से काशी या उसी तरह जो लोग प्रवास करते थे वो हमनें यहाँ अवधुत चिंतन में देखा है।
जो आपको अच्छा लगता है, वो मैं बोलने नहीं बैठा हूँ.. जो मेरी माँ को और आई को पसंद है वो ही मैं यहाँ बोलता हूँ।
जब मैने मातृवात्सल्य विन्दानम् लिखा, तब योगिन्द्रसिंह ने बोला, की बापू अनिरुध्द सिमह विरचित रहें..ऐसा नहीं है..पर मैने कहा उससे कि, जो मेरा सब श्वास है, वो सब माँ का हैं।
बापू आज से आप बोलेंगे किस पे...
श्री सुक्तम् का पहला stanza (श्लोक) था; वो ही काफी था..बाकी सब का अर्थ अपने आप को आयेगा ही आयेगा.. साई चरित्र सब भाषा में भी उपलब्ध हैं..तो आज से प्रवचन नहीं होगा..आज से बाप अपने बच्चों से बात करने वाला है।
जो इस साल की जरुरत है..अब मेरा कदम ऐसा पड रहा है..आज तक मैंने अपनी माँ को सबको लुटवा चुका हूँ। इससे आगे..जितना कार्य के अनुसार है, उतना हीं बोलुंगा..
अगर सिवा 2 घंटे के 5 मिनिट..
भारतीय भाषा संगम में मैने बोला था कि,  मै भाषा सिखाने नहीं आया हूँ..तो मैं प्रेम सिखाने आया हूँ। तभी किसी ने पुछा कि "बापू आप हिन्दी में बोलेंगे..पर मराठी में सुनने की आदत हो चुकी हैं..पर मैने पुछा, कि कितनी हिन्दी और मराठी फिल्में देखी? तो हिन्दी ज्यादा थी।

सब पर मेरा समान ही हक है..कोई सौतेला नहीं..कोई भांजा-भतिजा नहीं..तो सब पुत्र और कन्या हीं है।
किसी ने पुछा कि बापू की जात कौनसी है..पर मेरे पुत्र और कन्या की जो जात हैं..वो ही मेरी जात है..बस मुझे ज्यादा प्यारें है..मेरी माँ, मेरे सद् गुरू और मेरे प्राणों से प्यारा हनुमंत..और इन सबके साथ..आप सब..ये मेरा पुरा परिवार हैं.. तुम्हारे साथ ही रहता हूँ...चलता हूँ..
यहाँ आने के लिए किसी को शिकायत नहीं थी..श्री श्वासम् में भी जिसको अर्पण करना है..तो करो या नहीं किया तो भी कोई बात नहीं।
आगे आनेवाले दिनों में यहीं सब होगा.. संकट किसको नहीं आता..अडचनें आती है.. पर उसमें से राह निकाल के आगे जाने के लिये सब देने वाली वो 'आई' है..आई और आपके, मैं भी एजंट नहीं हूँ.. मैं मेरी माँ का most obedient (बडा आज्ञाधारक) पुत्र हूँ..

और आप 'बडे आज्ञाधारक पुत्र' तो है ही! दादी का अपने बच्चे से ज्यादा तुमपे प्यार ज्यादा होगा..
गजर होगा.. आरती होगी.. और एक नया होनेवाला हैं.. "नवरात्री" और इसमें सबको भाग लेने मिलेगा.. आज का 'श्रीस्वस्तिक्षेम' आज मै कर के आया हूँ..जो यहाँ हैं, नहीं है, परदेस में हैं.. उन सबके लिए..
मुझे तुम सबको स्वावलंबी बनाना है..वो ही मैं सिखाने आया हूँ..मुझे मेरे बच्चे लाचार होते है, वो पसंद नहीं है..
आज से प्रवचन शब्द 'बंद' है.. आज से उसको "पितृ-वचन" या "पितृ-वाणी"

या सबसे प्यार बाँटना है..गलती सबसे होती है.. मैं सबको तुम्हें मेरी माँ की 'क्षमा' देने आया हूँ।

आज से तुम सबके लिये मेरा हर क्षण तुम सबके लिये 'सप्रेम' करने और माँ का आशिर्वाद देने के लिये.. अलग से कदम चलने वाला हूँ हम लोगों ने कितनी भी गलती की है..फिर भी आगे बढने ही वाले है।

माझा जो जाहला आणि वाया गेला
दाखवा दाखवा ऐसा कोणी..

अफवाहें फैलानी नहीं चाहिये..ये गलत बात हैं। क्यों की ये जब होता है तो अपना अध्यात्म का basis (नींव, पाया) ढिला होता हैं..और माँ से मिलने वाली क्षमा पाने का मार्ग वो समय के लिये block (बंद, अवरूध्द) हो जाता है। भगवान के बारें में कभी भी अफवाहें नहीं बढानीं चाहिए..

मैने बार बार कहा है, हमारे घर में कुछ मंगल कार्य है..तो हम बापू की पध्दतियों से करेंगे..पर कोई लोग नाराज होनेवाले है तो दोनो पध्दतियों से करने चाहिये..
अंत्यविधी भी शुभ है..तो इसमें विरोध नहीं करना चाहिये..अपना मार्ग "अविरोध" का है..
जो करना है, वो प्यार से करना है..मेरा नाम लेकर माँ को पुकारें..तो सब आप चाहतें हो तो सब करने कि जिम्मेदारी मेरी है..
मैं आपको भयमुक्त करना चाहता हूँ.. भयग्रस्त नहीं..

वेद है चार, 18 पुराण है, 108 उपनिषद है इत्यादी..इस भारत में अखंड है वो हमें अच्छे मार्ग पर ले जाता है..

सद् गुरू का संकिर्तन जो है वो हमें सबसे ज्यादा vibration (स्पंदन) देनेवाला हैं..जो पसंद आता है वो 24 मिनिट उपासना करनी हैं।
अंबज्ञ हरि ॐ ऐसे शब्द अपने मन में बैठने चाहिये.. ऐसे छोटे छोटे मार्ग से ही आगे बढना है।

त्रिपुरारी पौर्णिमा में भी..घमासान बारिश हुई.. 'न्हाऊ तुझिया प्रेमे' में भी प्यार कि बुँदें गिरी.. जो बाप से मिलता हैं.. वो donation (दान) नहीं होता..तो बाप ने प्यार से दी हुई अपनी चीज है..उसे gift (भेंट) नहीं बोल सकते..पर वो प्यार की चीज है..

आज मै आया हूँ..तो इसके बाद में सिधे नवरात्री में आऊंगा..आपके लिये नया कुछ करने, अनुष्ठान के लिये..

पहले मैं नहीं आया कि मेरी उपासना चल रही थी..और उसके बाद मेरा ब्लड प्रेशर बढ गया था..और तभी मुझे डॉ. ने आराम करने कहा था..यह सब आपको पता होना चाहिए..इसलिये बताया..
तो अभी नवरात्री में मिलेंगे..सारे मेरे पुराने प्रवचन सुनने मिलेंगे..ये सब गुरुवार चालू ही रहेंगे..आरती होगी..स्वस्तिक्षेम होगा..सब होगा।

और आप इंतजार करें..कि एक सुंदर चीज आनेवाली है..जिसमें सबको भाग लेने मिलने वाला है..ऐसी उपासना, जो पहले कभी नहीं हुई..वो होगी।

गुरुक्षेत्रम् मंत्र...

बापू कि ओर से निमंत्रण..
"अपने सबके गणपती उत्सव के लिये..मेरे सारे बच्चों को प्यार से बुलावा!!

हिन्दी अनुवाद

मिलिंदसिंह फणसे
मैं अंबज्ञ हूँ
हम सब अंबज्ञ है।

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