Thursday, March 3, 2016

03/03/2016 बापूंचे पितृवचन

हरि ॐ दि. 03/03/2016
.      बापूंचे पितृवचन

आज मुझे कुछ बात करनी है। पहली बात है.. मुझे इस चीज का बहुत दुख होता है; अगर आपकी माँ को, बिल्डिंग का कोई इन्सान 'तवायफ' कहे, तो गुस्सा नहीं आयेगा? तो मेरी माँ को उन्होने वही कहा है! तब मुझे बहुत दुख हुआ। मैने मोर्चा निकालने को नहीं कहा है! पर आज आप जिस माँ के सामने हाथ फैलाते है, और उसे 'वेश्या' कहते है; फिर भी हमें दुख नहीं हुआ!

You should ashamed on you...(तुम्हे, खुद पर शरम लगनी चाहिए)

मै किसी पार्टी को नहीं जानता! पर मेरी माँ को 'वेश्या' कहा गया! जिसने 'महिषासुर' को नौ दिन फँसाया और बाद में मार डाला।  हम फेसबुक पर comment (प्रतिक्रिया) नहीं डालते! अगर यह हमारी पत्नी के साथ हुआ, तो पुलिस complaint (शिकायत) करते है! पर आज अपनी दादी को ऐसा बोला तो हम यह कर नहीं सकते क्या? तो उसे यह सुनने के बाद हमें कितना दुख हुआ! मुझे politics (राजनिती) बिलकुल नहीं चाहिए; पर इस बात का मुझे क्रोध हुआ है! और इस बात के लिए मै definitely (निश्चित रुप से) concerned (संबंधित) हूँ! और जिसने मेरी माँ का अपमान किया है, उनको मै नहीं छोडूंगा!
अगर मेरी दुर्गा माँ को 'वो' वेश्या' कह सकते है, तो मुझे कुछ भी कहेगा, तो मुझे फर्क नहीं!

आज; किसी के मन में उसकी भक्ती है, तो घर जाकर उसके सामने जाकर कान पकडिये; 'वो' जरुर माफ करेगी।
ये थी मेरी 'पहली बात'

आज सब मेैं पढ रहा हूँ, आजकल कुछ बहुत बातें हो रही है.. उदाहरण के तौर पर "बच्चे कुछ अच्छा पढतें नहीं है" शराब पिते है, ड्रग्ज ले रहे है! बाप... माँ   भगवान के प्रती उनकी 'आस्था' कम हो रही हेै।

मैने 13 डिसेंबर 2014 के दिन metapolitics के बारे में बात की थी! जो spread हो रही है.. तथा कुबाधाएँ जो बढ रही है..उससे मेरे बच्चों के लिए जो चाहिए, वो मै कर रहा हूँ।
और उसमें घर की, बच्चों की safety (सुरक्षा) और माँ के स्वरुप में महिलाएँ प्रपत्ती कर रही है... और पुरुषों के लिए जो प्रपत्ती है; उसमें 'महादुर्गेश्वर' प्रपत्ती में कुछ नये बदलाव आनेवाले है।
उसके बारे में अगले गुरुवार मैं बतानेवाला हूँ।

मेरा कोई प्लान नहीं है! मेरा प्लान बुरे लोगों के लिए! वो टाईम पे चल रहे है।
श्री शब्द ध्यान योग में कुछ 1.30 (डेढ) मिनट वाली एक add करनेवाली बात भी कहनेवाला हूँ।

और उसमें खुद से खुद के चक्रों की प्रदक्षिणा सिखानेवाला हूँ! इसमें हमारे सारे चक्रों की भगवान के सारे चक्रों से प्रदक्षिणा होगी।

तिसरी चीज...मैने एक नया स्तोत्र 'सिध्द' किया है! "शिवगंगा गौरी गाथा स्तोत्र" यह अगले गुरुवार से अपनी उपासना में add (शामिल) होगा।

इससे किसी भी प्रकार की कुबाधा को स्तंभन करने के लिये है! ये घर में भी कर सकते है। बच्चों में अच्छे स्पंदन भी आयेंगे।

और आगे 17 मई से 21 मई तक सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक यहा सुंदरकाण्ड पठन कार्य होगा। जो हनुमान जी का अतिशय वर्णन है।
जो वाल्मिकी और तुलसी रामायण में एक एक खंड में एक एक story (कथा) लिखी है... बालखंड... विवाहखंड... इस बीच में एक जो आता है, वो 'सुंदरकाण्ड' है! यह सारी परिक्रमा हमें हनुमान जी के साथ करनी है।

इसके हर एक एक syllabus (अभ्यासक्रम) में पॉवर बहुत है। हम हमारी पुस्तिका लाकर भी पढ सकते है! और इससे हनुमान जी के vibrations (स्पंदन) प्रवाहित सबके भविष्य के लिये, हमारी बच्चों की रक्षा के लिये होनेवाले है।

राम का दुत बनकर जानकी के पास... जानकी का संदेशा लेकर राम जी के पास! राम के दुत बनकर बिभिषण के पास गया। सेतू बनाना राम के लिये जरुरी है, हनुमान के लिये नहीं, यह ध्यान में रखिए!

इनमें एक एक चौपाई, समंतक है। इसे 'सुंदर' नाम दिया है; क्यों की ये पढने वाले का जीवन, सुंदर बनता है।
राम 'पुरुषार्थ' है और जानकी उस पुरुषार्थ का 'फल' है और 'पुरुषार्थ से उसके फल का हरन किया है।

राम नाम.. र+आ+म से बनता है। पंचमहाभुत में एक ही ऐसा तत्व है; जो अग्नी है, उसे ही transform (परिवर्तन) करने की ताकद है!

र -  अग्नी बीज
आ- भानू बीज (सुर्य बीज)
म -  चंद्र बीज (सौम्यता बीज)

इसका मतलब अग्नी भी ऐसा हो, की दाहक ना हो

तो ऐसा की राम बीज है.. उसमें transformation (परिवर्तन) power (शक्ती) हैॆ। हमारा भार हलका करने के लिए भगवान वह ताकद देता है! उसको balance (समतोल) करने के लिये 'म' बीज...

जानकी का एक नाम 'सीता' वह भुमी कन्या है; भुमी से आनेवाली... पुरुषार्थ को अन्न देनेवाली... पुरुषार्थ को बढने के लिये क्षेत्र देनेवाली!
पुरुषार्थ को सुख, आधार, शांती मिलती है वो देनेवाली भुमी है और वो ही उसकी कन्या 'जानकी' है।

कर्ता और उसके फल में हमारा प्रारब्ध, हमारी गलतियाँ आती है! यह रावण,उस फल को हटाता है! पर राम का संदेश लेकर हनुमान, जानकी के पास आता है, वानर सैनिक सेतू बनाते है...
जहाँ भी सुंदरकाण्ड का
पठन होता है; तो जानना चाहिये, की जो हो रहा है वो हमारे हाथ-पैर, दिमाग में जो चलता रहता है... और उसके आंतरिक और बाह्य में सब सुंदर बन जाता है।
यह धार्मिक, आध्यात्मिक कार्य भी इसी श्रृंखला का भाग है

अगले गुरुवार से 'शिव गंगा गौरी गाथा स्तोत्र' का पठन करेंगे!
उसकी इस गाथा के सामने; ना पिशाच्च, ना परलोक वासी, ना असुर की कुछ भी नहीं चलती!  उसकी गाथा सिर्फ फेंकने के बाद उस सामनेवाले को लकवा आ सकता है! हमारे बच्चों के लिये एक बार किया, तो भी चलेगा।
कभी समय है, तो 36 बार किया तो भी चलेगा! और माँ को 36 यह संख्या पसंद है।

हम लोग जिस द्वार से आगे जा रहे है, उसमें मेरा हर एक बच्चा आराम से आगे जाएगा! अगर गिर भी गये, तो भी फिर से उठ कर आगे चलते ही जायेंगे।

शब्दांकन

मिलिंदसिंह फणसे
हम सब अंबज्ञ है।

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