Friday, February 5, 2016

31/12/2015 बापूंचे पितृवचन

हरि ॐ दि. 31/12/2015
.      बापूंचे पितृवचन

2015... अभी 2016 शुरू होनेवाला है। ऐसे कितने साल आते और जाते है। पहला और आखरी दिन बडी उत्सुकता के साथ हम जिना चाहते है! बस, ये दो ही दिन... बीच में क्या चलता है, हमें पता नहीं होता। हम सिर्फ काल प्रवाह में चलते रहते है।

यह 'श्री शब्द ध्यान योग' है, श्रीश्वासम्, श्री स्वस्तिक्षेम संवाद, गुरुक्षेत्रम् मंत्र; इन चार स्तंभ से, हम कुछ भी बदल सकते है।'नक्की' हो सकता है! और हम हमेशा कहते है... पहला कदम तुम उठाओ! पर हम 'आरंभशुर होते है... पहले एक-दो दिन करते है! हमारे पास जितनी ताकत होती है, उसे use (इस्तेमाल) करते है... और धिरे से हमारी बाद में हवा निकल जाती है! और उसका blame (आरोप) हम किसी और पे डाल देते है। ये क्यूँ होता है? हमारे मन में सिर्फ पहला कदम ध्यान में होता है।

इसका मतलब, हमारा पहला  कदम, गलत होता है। पर ठीक से सोचिये, हर कदम पहला ही होता है! हर एक कदम जब हमारा पहला होता है; तभी हम दुरी पार कर सकते है। तो हमें क्या करना चाहिए?
पुरा 'जोर लगा के हैय्या' एक गड्डा खोदने के लिए ठीक है.. पर जीवन चलने के लिए ऐसा नहीं चलता। जितनी ताकत एक कदम उठाने के लिये जरुरत होती है; उसी ताकत के साथ ही कदम उठाओ!
शादी के दिन, एक ही दिन राजा होते है, हार होता है.. गहनें होते है, उत्साह होता है! दुसरे दिन से बालों की हवा निकलने लगती है। क्या एक दो साल बाद उतना ही उत्साह होता है?

ये जो साल है... यह पुरे शतक का... हम इसमें हमारी श्रध्दा को बढाकर अपनी ताकत बढा सकतें है। ये साल किसने तैयार किया? Why should I belive you? (मैं क्यूँ आप पर विश्वास करूँ?) लेकिन इसमें भी science (विज्ञान) है। 12 राशी होती है! सुर्य का भ्रमण होता है! तो उससे और हमारी पृथ्वी का चुंबकिय बदलाव में क्या क्या होता है? वो इस पर निर्भर होता है।

यह जो 'उपयुग' चल रहा है (2016) यानी इतने साल के पहले कालगणना, करनी शुरू हुई। उससे पहले मत्स्य उपयुग कहते है! तो यहाँ 'मीन' राशी का वर्चस्व होता है। यह मत्स्य, 200 साल पहले शुरू हुआ। यह continue होता (चलते रहता) है, 2592 तक!
इस युग में जो सब कुछ होता है, वो वैश्वि... वैदिक गणित से होता है।
इस मत्स्य युग में जो कालखंड है.. जो सत्ता है.. 7 नंबर की! हमारे शरीर में 7 धातू होते है! हमारे शरीर में active (कार्यरत) चक्र 7 है। हम सभी के लिए यह नंबर important (महत्वपुर्ण) है।

इसके साथ साथ... 7...18...36! 18 क्यूँ? तो वो माँ ने धारण किया है! उसका मुल रुप है। पर ये मीन है.. वो प्रथम अवतार होता है। वो कभी 6 हाथ की या कभी 100 की होती है! उसके लिए उसने 'मुल रुप' 18 हाथों का धारण किया है, हमारे लिए!!

2592 सालों के लिए उसने ये हमारे लिए रुप धारण किया है

7 इस नंबर से हम क्या जानते है; हमारे पास सात ग्रंथ है।

ग्रंथराज       तीन
माँ के ग्रंथ    दो
रामराज्य    एक
और सातवाँ आनेवाला है।

7 चक्र है...हमारे पास 7 स्तंभ भी है! 4 तो पता है!!
1) गुरुक्षेत्रम मंत्र
2) स्वस्तिक्षेम संवाद
3) श्रीश्वासम्
4) श्री शब्द ध्यान योग
5) + (6) + (7) त्रिविक्रम

सात में से तीन चीजें है ही! तुम कुछ करो या ना करो। सिर्फ एक विश्वास के साथ; कि ये हमारा सबसे प्यारा दोस्त है! और इससे ही श्रध्दा, सबुरी मिलते ही रहेंगी

इस त्रिविक्रम के वैसे ही... हमारा जीवन रहेगा! जैसे हम स्वस्ति वाक्यम् कहते कहते, पुजा करते है.. वो वैसा ही होता है। क्यों की 'वो' चाहता ही है... जो सही श्रध्दावान होता है; उसके पास यह तीन चीजें होती ही है।
हमारे जीवन में (7) स्तंभ आयें ही है!

इस 2016 में ही 'मत्स्य युग' का अंतिम चरण शुरू होगा। जिसका पहला चरण तीन घंटे बाद शुरू होगा। इस पर्व के हम सब साक्षीदार है। वो इस युग का अंतिम चरण है! वो अलग होगा! वो 'त्रिविक्रम' देख लेगा! हम ऐसे मोड पर है, जहाँ वसुंधरा बदलने वाली है। इसमें हमें concession (सहुलियत, सवलत) मिली है, कि "हमें उपासना करनी है"

क्योंकी, इस साल तुम जो भी कोई उपासना करोगे... रोज से भी ज्यादा... 7 गुना ज्यादा, फल 'माँ जगदंब की कृपा से देने का' त्रिविक्रम ने decide (पक्का) किया है।

कम-से-कम 7 गुना और ज्यादा से ज्यादा कितना भी! तो इस साल को waste मत (व्यर्थ मत गवाँना) करना! कहाँ भी जाओगे, मजे करिये.. फिर भी भक्ती करना मत छोडो..
कोई पागल कहेंगे, कहने दो... हम भक्ती बढातें रहेंगे! करते रहेंगे!
किसी को force (आग्रह) मत करना... जो करना चाहे, वो करें।

कलीयुग में हरिगुणसंकिर्तन ज्यादा important (महत्वपुर्ण) है। इसका होना जरुरी है! अपने मन में करो, तो भी अच्छा है... किसी और के साथ करो, तो भी अच्छा! तो यह साल कौनसा है?

"हरिगुरुगुणसंकिर्तन साल"

तो, हम त्रिविक्रम को 'बाप... माँ...दोस्त' जो भी मानते है, तो; वो है ही! साई-चरित्र पढेंगे...स्वामी की बखर पढेंगे... वगैराह!!
अपने मन को बार बार बताते रहेंगे... हर रोज कम-से-कम एक बार वो साई का संकिर्तन करना शुरू करो!!
सभी करोगे????

यह साल... बहुत महत्वपुर्ण है... हर एक के लिए!!

18 नंबर का महत्व हम जानते है!

36... इस साल 108 बार करने का जो 'फल' मिलता है, वो 36 बार करने से ही मिलेगा! यह एक ऐसी संख्या है, जो माता रेणुका...शिव गंगा गौरी का नंबर है! जो बुराई है... उसे बंद करने के लिए ये नंबर काम आता है।

हमारी खामियाँ कम करने के लिए... आज एक संकल्प करो..."ॐ कृपासिंधू... (कोई भी मंत्र) 36 बार रोज कहेंगे! ऐसा आसान नियम करना... पहले आसान ले लो... जितना हो सकता है, उसका ही संकल्प करें! ऐसा कुछ नियम जरुर करियेगा।

हमारे उपर...saturn (शनी) का प्रभाव कम होगा।

लेकिन ये 36 नंबर का निर्णय, त्रिविक्रम को बताकर जरुर किजिये, "करवा लेना त्रिविक्रम, हनुमान जी मेरी उँगली पकड कर चलना"

शब्दांकन
मिलिंदसिंह फणसे
हम सभी अंबज्ञ है!

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